बाल गजल-59
बाबाक लाठी टूटि गेलै की करब
भागै छलौँ कप फूटि गेलै की करब
धेने छलौँ हम जौर बकरीकेँ मुदा
कूदै बहुत तेँ छूटि गेलै की करब
साटै छलौँ पोथी लऽ लस्सा आमकेँ
सबटा जँ पन्ना जूटि गेलै की करब
गाबै छलौँ जँ प्रार्थना इस्कूलमे
सर्दी छलै धुन टूटि गेलै की करब
छी बाल हम गलती तँ हेबे करत ने
नीको करैमे लूटि गेलै की करब
मुस्तफइलुन
2212 तीन बेर
बहरे-रजज
अमित मिश्र
बाबाक लाठी टूटि गेलै की करब
भागै छलौँ कप फूटि गेलै की करब
धेने छलौँ हम जौर बकरीकेँ मुदा
कूदै बहुत तेँ छूटि गेलै की करब
साटै छलौँ पोथी लऽ लस्सा आमकेँ
सबटा जँ पन्ना जूटि गेलै की करब
गाबै छलौँ जँ प्रार्थना इस्कूलमे
सर्दी छलै धुन टूटि गेलै की करब
छी बाल हम गलती तँ हेबे करत ने
नीको करैमे लूटि गेलै की करब
मुस्तफइलुन
2212 तीन बेर
बहरे-रजज
अमित मिश्र
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