अहाँक गेलासँ आब जिनगी एकारी लागै
हमरा तऽ एको दिन ,साल जकाँ भारी लागै
देह हाथ सुखल हमर ,केशोँ नै माथा मेँ
अईना मेँ देखलासँ बडका बेमारी लागै
खाई पीयै मेँ हमरा किछो ,नीको नै लागैये
भात दालि कि खाईब ,निको नै सोहारी लागै
कि कहब हम बाबूकेँ ,केना देखेबै मुँह
पटना मेँ पढ़ल अनेरे मोन भारी लागै
देखै छी फोटो जौँऽ , उ और याद आबैत छथि
मुकुन्द के अहाँ बिना रहल लचारी लागै ।।
हमरा तऽ एको दिन ,साल जकाँ भारी लागै
देह हाथ सुखल हमर ,केशोँ नै माथा मेँ
अईना मेँ देखलासँ बडका बेमारी लागै
खाई पीयै मेँ हमरा किछो ,नीको नै लागैये
भात दालि कि खाईब ,निको नै सोहारी लागै
कि कहब हम बाबूकेँ ,केना देखेबै मुँह
पटना मेँ पढ़ल अनेरे मोन भारी लागै
देखै छी फोटो जौँऽ , उ और याद आबैत छथि
मुकुन्द के अहाँ बिना रहल लचारी लागै ।।
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