गुरुवार, 11 अगस्त 2011

गजल

गजल

जवानीके सहेजक किया बैसल छी सजनिया
चुनि लिअ एकटा हजारोमे अपन साँवरिया

ओकरे सौपि हृदय आहाँ बनि जाउ महारानी
तखन खन-खनाएत पाएरमे पैजनिया

देखब कही बित ने जाए एहु बेरक लगन
एखनेसँ जोडिलिअ प्रेमीसँ पि्रतक सिनेहिया

जवानीके सहेजक किया बैसल छी सजनियाँ
चुनि लिअ एकटा हजारोमे अपन साँवरिया । ।
वर्ण ....18

5 टिप्‍पणियां:

  1. Like · · Unsubscribe · Wednesday at 10:20

    Om Prakash Jha, Bechan Thakur and 16 others like this.
    Kamlesh Jha Praveen ji ke bahut bahut badhai
    Wednesday at 10:22 · Unlike · 3 people
    मिहिर झा ehi gajal par yadi chayankarta ke sameeksha post kari ta neek laagat o gyanvardhan hoet.
    Wednesday at 10:34 · Unlike · 3 people
    Gajendra Thakur badhai prateek ji
    Wednesday at 10:47 · Unlike · 2 people
    Mukesh Choudhary wah.
    Wednesday at 11:31 · Like · 1 person
    Murli Dhar Anchinhaar ji Namaskar!
    Jawani ke sahej ka kiya baisal chhi sajaniyan, Ahi sherak dosar misra bahar mein naih achhi. matlab khariz ahi. Aa Radif seho ...SAJANIYAN/ SAANVARIYA, khariz ahi. Anyatha naih leb, aa ahi Ghazal ke Bahar mein aa Vazanak sath hum padha chahb jon sambhav hue.
    S-Sneh,
    Murli Dhar.
    Wednesday at 12:50 via · Like · 2 people
    Ashish Anchinhar आदरणीय Murli Dhar ji सभसँ पहिने जे इ उर्दू बहर पर नहि अछि। दोसर एहिमे रदीफक प्रयोग नहि छैक । तेसर काफिया केर प्रयोग गलत छैक से हम मानैत छी। चारि मैथिलीक बहर आदि नियम देखबा लेल एहिठाम आउ। http://anchinharakharkolkata.blogspot.com/p/blog-page.html
    अनचिन्हार आखर: मैथिली गजल शास्त्र आलेख
    anchinharakharkolkata.blogspot.com
    कोलकातासँ प्रकाशित मैथिलीक पहिल ब्लाग- A BLOG OF MAITHILI GHAZAL & SHER-O-SHAYRI
    Wednesday at 13:46 · Like · 1 person ·
    Poonam Mandal वधाइ...
    Wednesday at 13:49 · Like
    Sunil Kumar Jha प्रवीण जीक बधाई, आ निर्णायक मंडल क धन्यवाद
    Wednesday at 13:55 · Unlike · 2 people
    Ramashankar Jamayyar उद्गार और भाषा के साथ प्रवाह मुझे आकर्षक लगा। वैसे मैं मैथिल व्याकरण का जानकार नहीं हूँ। मनोवेदना को मूल मानता हूँ।
    Thursday at 15:09 · Unlike · 2 people
    Ramesh Ranjan prabin jee badhai a badhai anchinhar akhar ke seho.
    Thursday at 15:59 · Unlike · 3 people
    Ashish Anchinhar ‎Ramesh Ranjan---- POORA VVARAN LEL http://anchinharakharkolkata.blogspot.com/ par aau...
    अनचिन्हार आखर
    anchinharakharkolkata.blogspot.com
    कोलकातासँ प्रकाशित मैथिलीक पहिल ब्लाग- A BLOG OF MAITHILI GHAZAL & SHER-O-SHAYRI
    Thursday at 16:05 · Like · 3 people ·
    Prabin Chaudhary Pratik hum aabhari chhi 'anchinhar aakhar' ke, aashishji ke aa nirnayak mandalke. aadarniya murlidhar bhaiji, ramesh bhaiji lagayat sab ke sadar pranam.
    18 hours ago · Unlike · 2 people

    जवाब देंहटाएं
  2. Bp Udasi wah bahut neek ati sundra ashish jiiiiiiiiiiiiiiiii
    17 hours ago · Like · 1 person
    Murli Dhar ‎"Anchinhaar aakhar" puraskaarak Pahil Puraskaar jon ehan GHZAL/GEET par del jait chhaik tahan "ANCHINHAAR AAKHAR" Puraskaar samiti athva jadges ke bare me ki kahal jay>
    about an hour ago via · Unlike · 2 people
    Ashish Anchinhar ‎Murli Dhar------एखन पुरस्कारक पहिल चरण चलि रहल छैक। गीतक लेल एहिठाम कोनो जगह नहि छैक। एक बेर फेर ब्लाग पर जा कए पुरस्कार संबंधी विचार एवं मैथिली गजल शास्त्रकेँ देखल जाए। बहरमेँ गजल लिखबाक लेल अहाँ सभ सादर आमंत्रित छी। .......
    about an hour ago · Like
    Prabhat Ray Bhatt Uyfm prabin ji bahut bahut badhai aichh. . . . . . .
    about an hour ago via Mobile · Like
    Ashish Anchinhar ‎Murli Dhar-----पहिल चरण चारि मास धरि आर चलत। एहि चारू मास मे जँ केओ बहर युक्त गजल देलाह तँ पुरस्कार पर हुनक दाबी बेसी हेतन्हि।....
    about an hour ago · Like
    Ashish Anchinhar murlidhar ji, aei post par bhel tippani, mool rachnak sang day rahal chhii.Prabin Chaudhary Pratik
    गजल

    जवानीके सहेजक किया बैसल छी सजनियाँ
    चुनि लिअ एकटा हजारोमे अपन साँवरिया

    ओकरे सौपि हृदय आहाँ बनि जाउ महारानी
    तखन खन-खनाएत पाएरमे पैजनियाँ

    देखब कही बित ने जाए एहु बेरक लगन
    एखनेसँ जोडिलिअ प्रेमीसँ पि्रतक सिनेहिया

    जवानीके सहेजक किया बैसल छी सजनियाँ
    चुनि लिअ एकटा हजारोमे अपन साँवरिया । ।
    वर्ण ....18
    2068.4.26
    Unlike · · Unsubscribe · 11 August at 17:55

    You, Rabindra Jha, Poonam Mandal, Prity Thakur and 7 others like this.
    Ashish Anchinhar vah.......एखनेसँ जोडिलिअ प्रेमीसँ पि्रतक सिनेहिया.........vah.....
    11 August at 18:00 · Like · 3 people
    Umesh Mandal bah bhai saral varnik chhand me adbhut gazal
    11 August at 19:35 · Like · 1 person
    Gajendra Thakur अदभुत गजल, मुदा बिन रदीफक कहाओत, पहिल पांतीमे याँ क बदला या कऽ दियौ..इया काफिया भेल..ओना बिन रदीफक गजल होइत छै, ओकर शास्त्रीयतामे कोनो फर्क नै अबै छै
    11 August at 19:50 · Unlike · 3 people
    Prabin Chaudhary Pratik dhanyabad sir, 'जवानीके सहेजक किया बैसल छी सजनिया'
    11 August at 20:07 · Like · 1 person

    जवाब देंहटाएं
  3. Murli Dhar Anchinhaarji Namaskaar, Ghazal vidhak bare ahaank ek ek path humra lak suraxchhit achhi, muda ahank sab likha padhi sab vishleshan ANCHINHAAR laga lagal. ki yah chhaith anchinhaar? je kahai chhathinh geetak jagah naih chhaik, Tahan ee je JAWANI KE SAHEJ....ekra ki kahi PURASKAARAK Shreni mein rakhne chhi? Pahil Uttar kahne chhalaon je ee GHZAL NAIH THIK Tahan ee aab ki manal jay?
    about an hour ago · Unlike · 1 person
    Ashish Anchinhar Gajendra Thakur ने कहा…

    गजल कोनो ने कोनो बहर (छन्द) मे हेबाक चाही। वार्णिक छन्दमे सेहो ह्रस्व आ दीर्घक विचार राखल जा सकैत अछि, कारण वैदिक वर्णवृत्तमे बादमे वार्णिक छन्दमे ई विचार शुरू भऽ गेल छल:- जेना
    तकैत रहैत छी ऐ मेघ दिस
    तकैत (ह्रस्व+दीर्घ+दीर्घ)- वर्णक संख्या-तीन
    रहैत (ह्रस्व+दीर्घ+ह्रस्व)- वर्णक संख्या-तीन
    छी (दीर्घ) वर्णक संख्या-एक
    ऐ (दीर्घ) वर्णक संख्या-एक
    मेघ (दीर्घ+ह्रस्व) वर्णक संख्या-दू
    दिस (ह्रस्व+ह्रस्व) वर्णक संख्या-दू

    मात्रिक छन्दमे द्विकल, त्रिकल, चतुष्कल, पञ्चकल आ षटकल अन्तर्गत एक वर्ण (एकटा दीर्घ) सँ छह वर्ण (छहटा ह्रस्व) धरि भऽ सकैए।
    द्विकलमे- कुल मात्रा दू हएत, से एकटा दीर्घ वा दूटा ह्रस्व हएत।
    त्रिकलमे कुल मात्रा तीन हएत- ह्रस्व+दीर्घ, दीर्घ+ह्रस्व आ ह्रस्व+ह्रस्व+ह्रस्व; ऐ तीन क्रममे।
    चतुष्कलमे कुल मात्रा चारि; पञ्चकलमे पाँच; षटकलमे छह मात्रा हएत।
    वार्णिक छन्द तीन-तीन वर्णक आठ प्रकारक होइत अछि जे “यमाताराजसलगम्” सूत्रसँ मोन राखि सकै छी।
    आब कतेक पाद आ कतऽ काफिया (यति,अन्त्यानुप्रास) देबाक अछि; कोन तरहेँ क्रम बनेबाक अछि से अहाँ स्वयं वार्णिक/ मात्रिक आधारपर कऽ सकै छी, आ विविधता आनि सकै छी।
    14 hours ago · Like · 3 people
    about an hour ago · Like
    Ashish Anchinhar Gajendra Thakur हाइकूसँ विपरीत रुबाइमे वार्णिक नै मात्रिक गणना होएत (गजलमे मुदा दुनू विकल्प उपलब्ध छै): 20 वा 21 मात्रा सभ पाँतीमे हेबाक चाही आ गणना होएत- देखलों जे अहाँ के रूप गोरी(2+1+2/ 2/ 1+2/ 2/ 2+1/ 2+2= 19 एतए 2 मात्रा पहिल पाँती मे कम अछि. संगे पहिल शब्द दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ सँ वा २.दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व सँ शुरू हेबाक चाही, सभ पाँती मे- अलग-अलग क्रम भ' सकैए मुदा 21 मात्रा आ प्रारम्भ दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ सँ वा २.दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व सँ हेबाक चाही...
    मुदा हाइकू लेल बिना कम्प्लेक्सिटीबला वार्णिक छन्दक मैथिलीमे प्रयोग करू जेना अहाँ क' रहल छी..
    वार्णिक दृष्टिसँ गणना आ मात्रिक दृष्टिसँ गणना: तकैत= 1+2+1 ( एतए तीनटा वर्ण अछि त, कै, त जतए पहिल ह्रस्व , दोसर दीर्घ आ तेसर ह्रस्व अछि).. ई भेल वार्णिक दृष्टिसँ, मात्रिक दृष्टिसँ मुदा तकैत= ह्रस्व+दीर्घ+ह्रस्व= 4 मात्राक वर्ण ह्रस्व-दीर्घ-ह्रस्वक क्रममे...
    14 hours ago · Like · 3 people
    Gajendra Thakur मैथिली गजल सेहो अनिवार्य रूपमे बहर(छन्द)मे सरल-वार्णिक, वार्णिक आ मात्रिक छन्दमे कहल जएबाक चाही।जेना सोरठा, चौपाइ छै तहिना गजल छै..उर्दूमे ऐ तरहक प्रयास भेलै..आजाद गजलक नामसँ..), कहबाक आवश्यकता नै जे ओ पूर्ण रूपेँ फ्लॉप भऽ गेलै..५३९ ई.सँ अरबीमे बहर युक्त गजल आइ धरि लिखल जा रहल छै, फारसी आ उर्दूमे सेहो बिना बहरक गजल नै होइ छै..गजलमे भगवान धरिक मजाक उड़ाओल जाइत छै, ओइ अर्थमे ओ उदार छै मुदा बहरक मामिलामे ओ बड्ड कट्टर छै, आ ई कट्टरता ने अरबीमे गजलकेँखम केलकै आ ने उर्दूफारसीमे, मात्रा मिलान आ सहज प्रवाह गजलमे एकटा रीतियेँ होइ छै, आ से ओकर विशेषता छिऐ, नै तँ फेर ई नज्म भऽ जेतै..

    जवाब देंहटाएं
  4. Ashish Anchinhar Gajendra Thakur हाइकू सन 5/7/5 सिलेबलक होइ छै। जापानी सिलेबल आ भारतीय वार्णिक छन्द मेल खाइ छै से 5/7/5 सिलेबल भेल 5/7/5 वर्ण / अक्षर। संस्कृतमे 17 सिलेबलक वार्णिक छन्द जइमे 17 वर्ण होइ छै, अछि- शिखरिणी, वंशपत्रपतितम, मन्दाक्रांता, हरिणी, हारिणी, नरदत्तकम्, कोकिलकम् आ भाराक्रांता। तैँ 17 सिलेबल लेल 17 वर्ण/ अक्षर लेलहुँ अछि, जे जापानी सिलेबल (ओंजी)क लग अछि। अंग्रेजी मे जखन हाइकू लेखन शुरू भेलै तखन ओ लोकनि ५/७/५ सिलेबलमे लिखए लगलाह मुदा फेर जल्दीये हुनका सभकें पता लागि गेलन्हि जे अ‍ंग्रेजी सिलेबलमे ५/७/५ सिलेबलमे बड बेसी अल्फाबेट आबि जाइ छै से आब ओतौ कम अल्फाबेटमे हाइकू लिखबाक प्रयास भेलै..मुदा हमरा लग वार्णिक छन्द, जइमे अलफाबेट आ सिलेबलक मिलानी अछि, क परम्परा उपलब्ध अछि से तकर प्रयोग उचित/ रुबाइ लेल सरल वार्णिक छन्दक प्रयोग समभव नै कारण ओ दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ सँ वा २.दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व सँ शुरू होइ छै..
    7/28/2011 11:08 AM
    Gajendra Thakur ने कहा…

    Arvind Ranjan Das जी ठीके लिखै छथि जे -ग़ज़ल- अग़ज़लक विवाद हिन्दियो म बहुत दिन धरि रहल. हाल ई भ गेल कि देवनागरी लिपि में नुक्ता क प्रयोग आरम्भ भ गेल- मुदा ई ऐ कारणसँ भेल जे हिन्दीक गजलशास्त्र उर्दू गजलशास्त्र फारसी लिपिसँ देवनागरी लिपिमे लिप्यंतरण अछि, आ से किछु सीमा धरि सही सेहो छै, कारण ई दुनू भाषा वोकाबुलेरी मात्र मे किछु भिन्नता रखैए, मोटा-मोटी दुनू एक्के भाषा नै..से हिन्दी गजल शास्त्र लिखबा मे शॉर्ट-कट लेल गेल..बहर छन्दक अनुसार नै मिलाओल गेल..उर्दू बहर वोकाबुलेरीक प्रयोगसँ ग़ज़लक तयशुदा बहरभ’ गेल तखन नुक्ताक प्रयोग तँ हेबे करत..ओहुना ढ़ / ड़/ आ चन्द्रबिन्दु संस्कृतमे नै छै, मुदा मैथिलीमेखूब छै, ईे तीनू एक तरहेँ नुक्ताक रू प छिऐ ..
    about an hour ago · Like
    Ashish Anchinhar Gajendra Thakur आब उर्दू गजलपर आबी। १८९३ ई.मे हाली मुकद्दमा-ए-शेर-ओ-शायरी लिखलन्हि जे हुनकर काव्य-संग्रहक भूमिका छल। ओहि समए धरि उर्दू गजलक विषय आ रूप दुनू मृतप्राय छल से हाली विषय-परिवर्तनक आह्वान तँ केबे कएलन्हि संगहि काफिया आ रदीफक सरल स्वरूपक ओकालति कएलन्हि। ओ लिखै छथि जे एकाधे टा शेर आइ-काल्हि नीक रहैए आ शेष गजल फारसीक शब्द सभसँ भरि देल गेल शेरक संकलन भऽ जाइए जाहिसँ ओकर स्तरहीनतापर लोकक ध्यान नञि जाए। से उर्दू गजल धार्मिक कट्टरतापर व्यंग्यक क्षेत्रमे फारसी गजलसँ आगाँ बढ़ि गेल।
    14 hours ago · Like · 3 people
    Gajendra Thakur जापानी ओंजी क अनुवाद अंग्रेजीमे सिलेबल आ मैथिलीमे "वार्णिक छन्द" भेल , मुदा अंग्रेजीक सिलेबल सही अनुवाद नै भेल कारण ओइमे अल्फाबेट बेसी आबि गेल, तहिना बहरक अनुवाद गजलक सन्दर्भमे सरल वार्णिक/ वार्णिक आ मात्रिक छन्द भेल मुदा रुबाइक सन्दर्भमे मात्र वार्णिक (सरल वार्णिक छोड़ि कऽ) आ मात्रिक छन्द.. Gautam Rajrishi लेल http://anchinharakharkolkata.blogspot.com/p/blog-page.html मैथिली गजलशास्त्र- १-१३ /
    अनचिन्हार आखर: मैथिली गजल शास्त्र आलेख
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    कोलकाता सँ प्रकाशित मैथिलीक पहिल ब्लाग- A BLOG OF MAITHILI GHAZAL & SHER-O-SHAYRI
    14 hours ago · Unlike · 4 people ·
    Gajendra Thakur वर्णवृत्त भुजंगप्रयात : प्रति चरण यगण (U।।) – चारि बेर आ बहरे मुतकारिब मुतकारिब आठ–रुक्न/ वर्ण वृत्त सोमराजी यगण (U।।) – दू बेर। छह वर्ण आ बहरे मुतकारिब चारि–रुक्न फ ऊ लुन (U।।) – दू बेर - ई दुनू तँ सिद्ध करैत अछि जे बहर माने भेल गजलक सन्दर्भमे सरल वार्णिक/ वार्णिक आ मात्रिक छन्द..सादर..
    अनचिन्हार आखर: मैथिली गजल शास्त्र आलेख
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  5. Ashish Anchinhar murlidhar ji, bin kaphiyak gazal nai hoi chhai, muda bin radifak hoi chhai, dosar gap kaphiya sudhar lel pratik ji maani gel chhalah, se oopar likhal achhi..tesar ee gazal bahar me chhai, saral varnik chhand me sabha paanti me 18 varn,
    about an hour ago · Like
    Ashish Anchinhar प्रतीक जीक रचना पढ़ल जाए मुरलीधर जी: http://anchinharakharkolkata.blogspot.com/2011/08/blog-post_2294.html
    अनचिन्हार आखर: गजल
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    कोलकातासँ प्रकाशित मैथिलीक पहिल ब्लाग- A BLOG OF MAITHILI GHAZAL & SHER-O-SHAYRI
    59 minutes ago · Like ·
    Ashish Anchinhar Murlidhar ji lel ghajal par khas kay ee aalekh: http://anchinharakharkolkata.blogspot.com/2011/05/blog-post_6188.html
    अनचिन्हार आखर: मैथिली गजलशास्त्र-१३
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    57 minutes ago · Like ·
    Ashish Anchinhar जँ उपरमे देल गेल लिंक के खोलि पढ़ैत होइ तँ नीक। ओना सए बातक एक बात छैक जाहि भाषामे 100 साल धरि बिना बहरके गजल चललै ताहि भाषामे जँ दू-चारि साल आर लगतै तँ की हेतै। हमरा बुझाइए जे बिना हमर ब्लाग पर गेने। बिना ओकर इतिहास आदि के देखने बिना मैथिली गजल शास्त्रकेँ पढ़ने इ बहस चलि रहल अछि। कम सँ कम हमरा लोकनि गजल के एतेक तँ कइए देलिऐक जाहिठाम सँ आब उर्दू बहरमे गजल लिखल जा सकैए। आब मुरलीधर भाइ सँ इ आशा जे बस दू-चारि दिन मे ओ बहर युक्त गजल देताह।..........
    53 minutes ago · Like · 1 person
    Poonam Mandal http://anchinharakharkolkata.blogspot.com/2011/05/blog-post_6188.html ऐ लिंकपर बहरे मुतकारिबमे गजल छै, मुरलीधर भाइसँ तै पर टिप्पणी आमंत्रित अछि।
    अनचिन्हार आखर: मैथिली गजलशास्त्र-१३
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