शनिवार, 27 अगस्त 2011

गजल

प्रकृति जँ दुश्मन बनए तँ ओकरा रोकब कठिन

काँटी जँ छाती पर रहए तँ ओकरा ठोकब कठिन


लक्ष्य जँ नहि रहत आँखिक सीमान पर सदिखन

जोर लगेलाक पछातिओ ओकरा लोकब कठिन


संसारमे पापक घैलके एहने गति छै से मानै छी

जँ नै रहबै सत्यक संग तँ ओकरा फोड़ब कठिन


आब जँ अहाँ चाही तँ एकरा कोनो नाम दए सकै छी

केकरो करेज सँ निकलल गप्पके तोड़ब कठिन


बौआइत रहू मसाने गाछिए-बिरछिए सदिखन

जँ अहाँ नहि बनब भूत तँ ओकरा टोकब कठिन



**** वर्ण---------20*******

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों