प्रकृति जँ दुश्मन बनए तँ ओकरा रोकब कठिन
काँटी जँ छाती पर रहए तँ ओकरा ठोकब कठिन
लक्ष्य जँ नहि रहत आँखिक सीमान पर सदिखन
जोर लगेलाक पछातिओ ओकरा लोकब कठिन
संसारमे पापक घैलके एहने गति छै से मानै छी
जँ नै रहबै सत्यक संग तँ ओकरा फोड़ब कठिन
आब जँ अहाँ चाही तँ एकरा कोनो नाम दए सकै छी
केकरो करेज सँ निकलल गप्पके तोड़ब कठिन
बौआइत रहू मसाने गाछिए-बिरछिए सदिखन
जँ अहाँ नहि बनब भूत तँ ओकरा टोकब कठिन
**** वर्ण---------20*******
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