सोमवार, 1 अगस्त 2011

गजल

जँ प्रेम अछि तँ कहनहि नीक

शीतल आगि मे जरनहि नीक


घोघक रहस्य तँ एना बुझिऔ

झरकल मुँह झपनहि नीक


लोक जहर दैए मुस्किया कए

आब तँ हँसी सँ डरनहि नीक


दबाइ देबै तँ बढ़बे करत

प्रेमक दर्द के सहनहि नीक


आब जँ भेटत दुख अँहू लग

तखन संसार छोड़नहि नीक




**** वर्ण---------12*******

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों