जँ प्रेम अछि तँ कहनहि नीक
शीतल आगि मे जरनहि नीक
घोघक रहस्य तँ एना बुझिऔ
झरकल मुँह झपनहि नीक
लोक जहर दैए मुस्किया कए
आब तँ हँसी सँ डरनहि नीक
दबाइ देबै तँ बढ़बे करत
प्रेमक दर्द के सहनहि नीक
आब जँ भेटत दुख अँहू लग
तखन संसार छोड़नहि नीक
**** वर्ण---------12*******
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