गुरुवार, 4 अगस्त 2011

गजल

कहू, इ की केलहुँ बैसले-बैसल अँहा

आगि तँ लगेलहुँ बैसले-बैसल अँहा


रोड़ी कहींक इँटा-बालु सीमेंट कहींक

महल बनेलहुँ बैसले-बैसल अँहा


इन्द्र की करताह परतर अँहा संग

तंत्र जन्मा देलहुँ बैसले-बैसल अँहा


अगस्तस्य तँ पीने छलाह एकटा नदी

समुद्रो पी गेलहुँ बैसले-बैसल अँहा


लाठी-भाला लेने बैसल छल ओ खेत मे

साँढ़ ढ़ुका देलहुँ बैसले-बैसल अँहा



**** वर्ण---------15*******

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों