सोमवार, 1 अगस्त 2011

गजलक संक्षिप्त परिचय भाग-3

खण्ड-3

मतला---” मतला” गजलक ओहि पहिल शेरके कहल जाइत छैक जकर दूनू पाँतिमे काफिया आ रदीफ रहै। ओमप्रकाश जीक एकटा गजल उदाहरणक लेल देल जा रहल अछि।

अहाँ केँ हमर इ करेज बिसरत कोना
छवि बसल मोन मे आब झहरत कोना

हवा सेहो सुगंधक लेल तऽ जरूरी
बिन हवा फूलक सुगंध पसरत कोना

अहीं टा नै, इ दुनिया छै पियासल यौ
बिन बजेने इ चान घर उतरत कोना

जवानी होइ ए नाव बिन पतवारक
कहू पतवारक बिना इ सम्हरत कोना

हमर मोन ककरो लेल पजरै नै ए
बनल छै पाथर करेज पजरत कोना

मफाईलुन (ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ) 3 बेर प्रत्येक पाँतिमे।

एहि गजलक पहिल शेरक पहिल पाँतिमे काफिया “अ” स्वरक संग “त” वर्णक मात्रा अछि (केना से काफिया बला खंडमे पता चलत)। आ रदीफ “कोना” अछि। तेनाहिते शेरक दोसरो पाँतिमे काफिया “अ” स्वरक संग “त” वर्णक मात्रा अछि आ रदीफ “कोना” अछि।
संगहि-संग ई शेर गजलक पहिल शेर अछि, तँए ई भेल मतला। आब दोसर शेर पर आउ, मतलाक बाद ई कोनो जरुरी नहि छैक जे दूनू पाँतिमे काफिया आ रदीफ हुअए। मुदा मतलाक बला शेरक बाद जे शेर छैक तकर दोसर पाँतिमे काफिया आ रदीफक रहब अनिवार्य। उपरके गजलके देखू मतलाक बाद जे शेर अछि---

हवा सेहो सुगंधक लेल तऽ जरूरी
बिन हवा फूलक सुगंध पसरत कोना

एहि शेरमे देखू पहिल पाँतिमे ने रदीफ छैक आ ने काफिया, मुदा दोसर पाँतिमे काफिया सेहो छैक आ रदीफ सेहो। अन्य शेरक लेल एहने सन बुझू। ओना मतलाक बाद जे मतला आबए तँ ई शाइरक क्षमता के देखबैत छैक आ गजलके आर बेसी सुन्दर बनबैत छैक। तएँ ओकरा हुस्ने-मतला कहल जाइत छैक ।ओना शाइर चाहए तँ गजलक हरेक शेरके मतलाक रूपमे दए सकैए। बिना रदीफक गजल सेहो होइत छैक जकरा “गैर-मुरद्दफ” गजल कहल जाइत छैक मुदा काफिया रहब बिलकुल अनिवार्य।

केखनो काल कऽ उर्दूक नीक-नीक दीवान सभमे बिना मतलाक गजल सेहो रहैत छै। मुदा ओकर कारण ई छै जे बहुत काल शाइर कोनो गजलक शेर तँ लीखि लै छै मुदा मतला लिखब संभव नै भऽ पाबै छै (कोनो कारणवश) तँ ओइ गजलकेँ बिना मतलाक बना कऽ दऽ दै छै। मुदा ई सदिखन धेआन राखब जरूरी जे ई मात्र परिस्थिति जन्य छै व्याकरणिक नै।बहुत दीवान तँ शाइरक मृत्यु भऽ गेलाक बाद प्रकाशित छनि एहन अवस्थामे संपादक बिना मतलाक शेर सेहो दऽ दै छथिन (ऐतिहासिकताक दृष्टिकोणसँ)

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों