बुधवार, 31 अगस्त 2011

गजल

दुश्मनक लेल कफ़न दोस्तक लेल दुआ राखैत छी .
हम हिंदुस्तान छी पैर तर समूचा दुनियां राखैत छी.

नज़रि कें चोट सं पाथारक देबाल ढाहि देब ,
तुफानक रुख मोड़ी देब एहन हौसला राखैत छी ।

कियो की बुझायेत हमरा प्रेम केर पहेली प्रिये ,
जतनीक अपन सिरहाना मे प्यार के गीता राखैत छी.

फिकरी मृतुअक नहि चिंता जिनगीक राखैत छी ,
सदिखन जीबैत अपन हिरदय में लहराईत तिरंगा राखैत छी ।

हाय कियो माय के लाल त हिंद प आखी उठाक देखि लौ ,
हमहूँ अपन छाती मे "दीपक" शेर के करेजा राखैत छी .


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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों