बुधवार, 3 अगस्त 2011

गजल

आइ-काल्हि भाँड़े आ की भड़ुएक तँ चलती छैक

आइ-काल्हि चोरे की पहरुएक तँ चलती छैक


होइत रहल निपत्ता फल आ फूल बगैचा सँ

सुखाएल सन जड़ि मालिएक तँ चलती छैक


चिचिआ कए जगबैत छल लोक के सदिखन

गोली खेलक ओ निशबद्दीएक तँ चलती छैक


घोघ के घोघ नै ओकरा आब दोसरे चीज बुझू

साँझ-राति धंधा मे बहुरिएक तँ चलती छैक


कलम लेने ठाढ़ अनचिन्हार चौबटिआ पर

कुबाट देखबैत कुमार्गिएक तँ चलती छैक




**** वर्ण---------18*******


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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों