हमरा इ सूचित करैत बड्ड नीक लागि रहल अछि जे " अनचिन्हार आखर"द्वारा स्थापित पुरस्कार " गजल कमला-कोशी-बागमती-महानंदा" पुरस्कारक पहिल चरण ( मास जुलाइक लेल ) पूरा भए गेल अछि। मास जुलाइक लेल रोशन झाक एहि रचना के चयन कएल गेलैन्हि अछि। हुनका बधाइ।
ग़ज़ल
आहाँकेँ दिल जँ धडकैया तऽ धडकय दियौ
आँहाँके आँखि जँ फडकैया तऽ फडकय दियौ
मिटा सकत ने हाथक रेखा मेंहदी कखनो
आँहाँके हाथ जँ थडकैया तऽ थडकय दियौ
भऽ जाईछ बेडी जे पाएरक नुपुरो कखनो
डेग आँहाँके जँ बहकैया तऽ बहकय दियौ
किया दबैछी आँहाँ मनक अरमान अपन
आगि मनके जँ भडकैया तऽ भडकय दियौ
आँहि लए आकुल व्याकुल ग्रीष्म रोशन मन
दुपट्टा तन सँ जँ लडकैया तऽ लडकय दियौ
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