मंगलवार, 2 अगस्त 2011

गजल

बाजू चोर आ चुहारक लेल ताला की

अँही कहू बेइमानक लेल केबाला की


लोक डुबैत अछि भाव आ अभाव मे

कहू डुबबाक लेल नदी आ नाला की


लोक तँ खुश होइए तेल मालिश सँ

एहि रोगीक लेल दबाइ वा आला की


फूसे घर पर होइए दैवी प्रकोप

इल्डिंग-बिल्डिंग लेल ठनका-पाला की



इज्जत सुकाज सँ भेटै छै संसार मे

एहि लेल बासन-सिंहासन माला की



**** वर्ण---------14*******

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों