जन्म लेलोंउ जों मिथिला मे त मैथिल छी
कर्म केलोंउ जों मिथिला मे त मैथिल छी
मीठ बोल जों सदिखन सबहक ठोर रहे
पान मखान स स्वागत होए त मैथिल छी
कपटी माय नै होए ये सदिखन याद राखु
सीता सन जों माय भेटल त मैथिल छी
कवी कोकिलक गान स जों मधुर छलके
उगना बनि भगवान् भेटल त मैथिल छी
अपने मुंह नै करब बड़ाई जानी लिया
मिथिला हमर गाम भेल त मैथिल छी
कर्म केलोंउ जों मिथिला मे त मैथिल छी
मीठ बोल जों सदिखन सबहक ठोर रहे
पान मखान स स्वागत होए त मैथिल छी
कपटी माय नै होए ये सदिखन याद राखु
सीता सन जों माय भेटल त मैथिल छी
कवी कोकिलक गान स जों मधुर छलके
उगना बनि भगवान् भेटल त मैथिल छी
अपने मुंह नै करब बड़ाई जानी लिया
मिथिला हमर गाम भेल त मैथिल छी
मतलामे काफिया ओंउ अछि तकरा बाद सभ काफिया गलत अछि।
जवाब देंहटाएंसुनील जी, बिना रदीफक गजल भऽ सकैए मुदा बिना काफियाक नै।
जवाब देंहटाएंओना १५ वर्णक सरल वार्णिक छन्दक बहर दुरुस्त अछि।
जवाब देंहटाएंगजलक पहिल आवश्यकता अछि बहर जे एतए अछि, दोसर आवश्यकता अछि काफिया, जे नै अछि, तकरा बाद रदीफ, जे अछि..
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