किछु दूर चलब हमहूँ जँ संग दए सकी
रंगि देब हम तँ रंग मे जँ रंग दए सकी
अन्हारो मे चलब हम बिनु ठोकर खएने
हमरा चलबाक जँ कनिको ठंग दए सकी
कहबै जँ चार पर तँ चढ़बै पहाड़ पर
किच्छो ने असंभव जँ कने उमंग दए सकी
हेताह कोने-कोन मे नुकाएल कतेको राम
मरत इ रावण जँ धनुष-भंग दए सकी
हमहूँ रहि सकै छी सभ सँ दूर सदिखन
जँ अपने जकाँ इ भावना अपंग दए सकी
**** वर्ण---------17*******
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