सोमवार, 8 अगस्त 2011

गजल

किछु दूर चलब हमहूँ जँ संग दए सकी

रंगि देब हम तँ रंग मे जँ रंग दए सकी


अन्हारो मे चलब हम बिनु ठोकर खएने

हमरा चलबाक जँ कनिको ठंग दए सकी


कहबै जँ चार पर तँ चढ़बै पहाड़ पर

किच्छो ने असंभव जँ कने उमंग दए सकी


हेताह कोने-कोन मे नुकाएल कतेको राम

मरत इ रावण जँ धनुष-भंग दए सकी


हमहूँ रहि सकै छी सभ सँ दूर सदिखन

जँ अपने जकाँ इ भावना अपंग दए सकी



**** वर्ण---------17*******

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों