आहां नहि येलौं हम ताहि सं तबाह छी.
जिबै छी मुदा जिनगी सं तबाह छी ।
आर किनको सं नहि हमरा उलहन-परतर,
हम तं एकगोट प्रिये अहिं सं तबाह छी.
दुश्मनी केर कोनो नहि चिंता-फिकिर,
सत्य कही तं दोस्ती सं तबाह छी .
नेहक सिवा आर की द सकैत छी हम,
हम तं गरीब आर गरीबी सं तबाह छी।
दू गोट"दीपक"कोना जराऊ सनेह केर प्रिये,
हम तं आपने ज्योति सं तबाह छी .
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बुधवार, 31 अगस्त 2011
गजल
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