मंगलवार, 11 अक्टूबर 2011

गजल


आगि लागल मोनक धाह केँ रोकि देलियै।
कोनो दुख गहीर छल, मुस्की मारि देलियै।

अपन मोनक धार कियो कोना के रोकत,
इयाद जे हमरा करेज मे भोंकि देलियै।

आँखिक कोर भीजल नोर किया नै खसल,
कृपणक सोन जकाँ ओकरा राखि देलियै।

नोर इन्होर होइ छै एहि सँ बाँचि के रहू,
फेर कहब नै अहाँ किया नै टोकि देलियै।

"ओम"क फाटल छाती कियो देख नै सकल,
कोनो जतन सँ ओकरा हम सीबि देलियै।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों