शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2011

गजल


आगि पजरलै जखन, धुआँ उठबे करत यौ।
इ प्रेम मे डूबल मोन खिस्सा रचबे करत यौ।

किया करेज पर खंजर नैनक अहाँ चलेलौं,
ककरो खून भेलै इ दुनिया बूझबे करत यौ।

होइ छै प्रेमक डोरी तन्नुक, एकरा जूनि तोडू,
जोडबै तोडल डोरी गिरह बनबे करत यौ।

राम-नाम मुख रखने प्रेमक बाट नै धेलियै,
प्रेमक बाट जे चलबै मुक्ति भेंटबे करत यौ।

बीत-बीत दुनियाक प्रेमक रंग मे रंगि दियौ,
"ओम"क इ सपना अहाँ संग पूरबे करत यौ।
---------------- वर्ण १८ ----------------

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों