धधकलै सौंसे घरक लोकवेद डिविया लुक्का भs गेलय
फेरो बेटीये भेलय सुनिते अगिलग्गिक धुक्का भs गेलय
ससुर सौस दुनु प्राणिक मुँह बिधुयैल बकोर लागल
अधकचरुस तमाकु सन धुयैन मुँह हुक्का भs गेलय
बर ओम्हर तामसेँ बताह जकाँ बौतलैल फिरै सगरे
घर मे जेना कि एखने चोरी चपाटी घरढुक्का भs गेलय
माय बाप परसौतीक गलैनक मारे कतियैल फिरैत
गरकैत फुटल फेकल खाली-पैसा वाला चुक्का भs गेलय
दर दुश्मनक करेज जुरैले तेँ ते हँस्सै-बाजै मुसकावै
मुँह लाल सिनुरिया आम डम्हकैत देखनुक्का भs गेलय
अपना बेचारी प्रसवक पीड़ो सँ बेशी मोनक बेथै मरै
मुँह फूल मौलायल वा फुलिकेँ-चुटकल फुक्का भs गेलय
’शांतिलक्ष्मी’ तेँ समाजक आचार देखि भालरि सन काँपय
कलपैत छाति पर दनदन बरसैत मुक्का भs गेलय
.........................वर्ण २२.........................
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