नई जाएब परदेश, अहां एहिना तकैत रहू
खोलब हृदय के तार अहां एहिना तकैत रहू
सखा भजार चुटकी लय के करैथ हँसी ठिठोली
अहां लेल दुनिया बिसरब एहिना तकैत रहू
सर समाजक कोनो चिंता ने अहांक रूपक आगू
दीन ईमान सेहो बिसरब एहिना तकैत रहू
गीत ग़ज़ल छन्द ओ कविता लिखब देखैत रहू
प्रणय निवेदन करू स्वीकार नैना तकैत रहू
ज़मीन जथा किछु नहि चाही नहि चाही रंजो-द्वेष
सुगम सिनेह केर पावन महिना तकैत रहू
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