गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

गजल


पुत कपुत एना हेबै तँ कोना चलतै
माय विदेह केँ कनेवै तँ कोना चलतै

माय मरै भुक्खे, पड़ै अहाँकेँ की अंतर
मोन केँ ऐना जँ बौरेबै तँ कोना चलतै

परदेस भल्हौं होइ अहाँ मुँहपुरुख
निजदेस सँ जँ परेलै तँ कोना चलतै

मानलौं माय भेली पिछिता अहाँ अधुना
माय केँ तेँ दुतकरवै तँ कोना चलतै

पड़ोसी भेली धनुखैनि माय दलिदर
तेँकि माय केँ जँ छोड़वै तँ कोना चलतै

अपनाकेँ खोरनाठी अनका सिक्कीपंखा
ई दुई रीत जँ चलेबै तँ कोना चलतै

माय-बापे सँ होइ छै सुजन परिचय
माय-देसक नै ठेकानै तँ कोना चलतै

बुझलौ जे रोटी लेल छै ई सभ चटुता
कर्ज दुधेक नै चुकेवै तँ कोना चलतै

अपना मोने मे छै नीति अनीतिक रीत
पुत सुमातेक बोहेतै तँ कोना चलतै

"सभ्य"केर कुभाखा मोन केँ लागै सुन्दर
भाखा मैयेक जँ हरेलै तँ कोना चलतै

भाखा आन खेलकै कतै सरकारी टाका
मैथिलि खैरातो बिलोलै तँ कोना चलतै

"शांतिलक्ष्मी" कहती अहाँसँ बस एतबे
स्वगौरव अहीं दबेबै तँ कोना चलतै


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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों