गजल
बड़को बड़का केँ नहि छै आब सठ्ठा
के आब केकरा दैए घी आ मठ्ठा
इलेक्ट्रोनिक मीडियाक जमाना इ आबि गेल
नवयुग मे नहि भेटत स्लेट आ भठ्ठा
गामो मे स्क्वायर फूट मे आब बिकाइए जमीन
बिसरि जायब किछु दिन मे धूर आ कठ्ठा
मिथिला बासी छी तैँ मैथिली बाजै छी
यार दोस्त सँ करै छी हँसी ठठ्ठा
इटांक घर ककरो होइ छल पहिने
गाम गाम मे खुजि गेल आब त' भठ्ठा
सिल्क पॉलिस्टर कीमती वस्त्र,पोशाक भेलै
के पहिरैयै मोट झोट आ लठ्ठा
दुखना,फेकना,रौदिया सभ परदेसी भेल
के जाइयै आब कान्ह पर ह'र ल' हठ्ठा
चोर चोर मौसयौत भाई जखने भ' गेल
के खोलत आब ककर कच्चा चिठ्ठा
जनता महंगाइ सँ त्राहि त्राहि करै
भ्रष्टाचारी खाइए घी आ मठ्ठा
गांधी बाबा आबि क' देशक हाल देखू
कतेक अहाँ के लिखू चिठ्ठी चिठ्ठा
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रविवार, 2 अक्तूबर 2011
गजल
खोजबीनक कूट-शब्द:
गजल,
SADRE ALAM GAUHER
सदरे आलम ’गौहर’सदरे आलम "गौहर"
व्याख्याता:-एस.एम.जे.कालेज खाजेडीह, ग्राम पो:- पुरसौलिया.मधुबनी
दाम एतय सभ चीजक देब' पड़ै छै।
अधिकारक लेल झग्गड़ क'र' पड़ै छै।
गज भरि जमीन जौँ कौरव नहि देब' चाहै।
पाँडव के फेर लोहा लेब' पड़ै छै।
कर्बला केर खिस्सा त' दुनिया जानै छै।
धर्मक खातिर शीश कटाब' पड़ै छै।
झग्गड़ झँझट मानलौँ नीक नहि होइ छै मुदा।
जीब' खातिर ईहो क'र' पड़ै छै।
"गौहर" साधु ब'न' लए चाहैत अछि मुदा।
दुर्जन केँ जे पाठ पढ़ाब' पड़ै छै।
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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
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