बाउ किछु विरोधाभास तँ विचित्रे बुझाइत छैक
देखू पेटक आगि तँ पानिसँ नहि मिझाइत छैक
राम नाम तँ सत्त थिक मुदा श्मसाने धरि किएक
लोक रामसँ बेसी रावणें लेल घुरिआइत छैक
बम-गोली चलए लगलैक एना भए कए आब
देखू फटक्को छुटला पर लोक चकुआइत छैक
आब लोक छल-छद्म करए लगलै खुल्लमखुल्ला
शांति-महल पर युद्ध पताका फहराइत छैक
जले जिनगी थिक भेटत हरेक पोथीमे लिखल
बाढ़िमे तँए चारु दिस जिनगीए देखाइत छैक
**** वर्ण---------19*******
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