मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

गजल

बाउ किछु विरोधाभास तँ विचित्रे बुझाइत छैक

देखू पेटक आगि तँ पानिसँ नहि मिझाइत छैक


राम नाम तँ सत्त थिक मुदा श्मसाने धरि किएक

लोक रामसँ बेसी रावणें लेल घुरिआइत छैक


बम-गोली चलए लगलैक एना भए कए आब

देखू फटक्को छुटला पर लोक चकुआइत छैक


आब लोक छल-छद्म करए लगलै खुल्लमखुल्ला

शांति-महल पर युद्ध पताका फहराइत छैक


जले जिनगी थिक भेटत हरेक पोथीमे लिखल

बाढ़िमे तँए चारु दिस जिनगीए देखाइत छैक



**** वर्ण---------19*******

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों