हम कीनल खुशी पर नाचू कतेक
हम लोहाक कंठसँ बाजू कतेक
रहस्य बेपारक बुझबै नहुँ-नहुँ
कमजोर हाथमे तँ तराजू कतेक
आधुनिको नै उत्तर-आधुनिक जुग
भावनाकेँ बेचैत लोक चालू कतेक
ने माए ने बाप ने तँ भाए ने बहीनि
इ सार-सरहोजि-सारि-साढ़ू कतेक
मनुख तँ बनि जाइए अनचिन्हार
इ जानबरक रूप चिन्हाबू कतेक
**** वर्ण---------14*******
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