सोमवार, 17 अक्टूबर 2011

गजल



पले पल प्रेमक प्यास लागय आब फ़ेर कहिया मिझायब यौ
रूइसकेँ तँ जाइत छी परायल पिया फेर कहिया आयब यौ

पचासे हजारक लेल ऐना तामसायल छी कथी लय पीतम
काज अस्सल फेरसँ हम अपन माय बाबुजी केँ बुझायब यौ

परुके साल एल.सी.डी. आओर फ़ीज बाबुजी रहैथ कीन देने
कहै छलाह अपन जमायक एहिना सभ सsख पुरायब यौ

मोटरोसाइकिलक सsख अहाँक ओहो जल्दीये कय देता पुरा
बस आब दसे हजार रुपैया बचल आरो छैक बचायब यौ

बाबुजीक आय छैक बड़ कम खर्चा अथाह अपरम पार यौ
तैपर मासेमास भायकेँ पढ़ेवाक खर्चा होस्टल पढ़ायब यौ

साल दुई साल तक छैक सेहो दस लाख दान-दहेजक खर्चा
वयस बितल जाइत छोटकी बोहिन केँ पहिने बिहायब यौ

बर हाथ लगैल बेटीक ऐतै करैथ बाबुजीयेक बड़प्पन
बुझनुक लोक स्वयं अहाँ छीहै हम गमारीन की बुझायब यौ

कहै छी हम बेचि लिय हमर सभटा गुड़िया गहना जेब़र
सोन शृंगार नय रहत तेँकि पिया हम उढ़ैर नै जायब यौ

हम अहाँकेँ छौड़ि कतय जायब पिया, छौड़ि कतय जायब यौ
चाहे मैरि-जैरि आब वा सदेह सिते जकाँ मैटिये समायब यौ

"शांतिलक्ष्मी" कहैत छथी यौ अहाँ तिरहुतक सर्वपुज पाहुन
और कतैक दिन धरि विदेहक बेटी जाति केँ सतायब यौ


....................वर्ण २४..................

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों