बात जे झंपबै त ओ जडिएबे करत
चुल्हि चढल खापडि करिएबे करत
कतबहु दाबब गप के दबत नहि
लोक त लोक छैक ओ चरिएबे करत
तनला से सहो चलत नहि कोनो काज
मुस्टंडा मानत नहि फरिएबे करत
नहि पडू मुखिया ओ पंचक चक्कर मे
ओकर त काज छैक भरिएबे करत
आपस मे गप करू करू राफ ओ साफ
धीरज धरू मामिला सरिएबे करत
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