सोमवार, 3 अक्टूबर 2011

गजल

एहि पारसँ ओहि पार धरि किछु नै बदलैए
ओ उतरैए नाङरि पकड़ि किछु नै बदलैए

सोगे नुनिआएल लोक खसैए राजपथ पर
आ चुप्प रहि जाइए चिकरि किछु नै बदलैए

बत्तीस टका बला गरीब नै गरीब लाख बला
इतिहास तँ अबैए नमरि किछु नै बदलैए

बेर-बेर ओकर आँखि मिलै छै आ झुकि जाइ छै
आ सौंसे चकुआइए सम्हरि किछु नै बदलैए.

भाइ एखनो विद्रोहकेँ पाप कहैए सरकार
आ सौंसे देखैए गुम्हरि किछु नै बदलैए


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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों