हमरा इ सूचित करैत बड्ड नीक लागि रहल अछि जे " अनचिन्हार आखर"द्वारा स्थापित पुरस्कार " गजल कमला-कोशी-बागमती-महानंदा" पुरस्कारक पहिल चरण ( मास सितम्बरक लेल ) पूरा भए गेल अछि। मास सितम्बरक लेल ओम प्रकाश (ओम प्रकाश झा) जीक एहि रचना के चयन कएल गेलैन्हि अछि। हुनका बधाइ।
थान केँ नपबाक फेर मे गज फेकल जाइ ए।
आकाश छूबाक फेर मे जमीन छूटल जाइ ए
भाँति-भाँति के सुन्नर फूल लागल फुलवारी मे,
कमल लगेबाक फेर मे गेंदा टूटल जाइ ए।
चानी सँ संतोख भेल नै, आब सोनक पाँछा भागू,
सोन कीनबाक फेर मे इ चानी रूसल जाइ ए।
दूरक चमकैत वस्तु अंगोरा भय सकै अछि,
मृगतृष्णाक फेर मे देखू मृग कूदल जाइ ए।
चानक इजोरिया मे काज "ओम"क होइते छल,
भोर-इजोरियाक फेर मे चान डूबल जाइ ए।
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