मंगलवार, 18 अक्तूबर 2011

गजल


कोशिश केलहु लिखबाक ग़ज़ल
लिखतहि कपाड मिसरा ख़सल

प्रथम शेर अहां शुरू केलहु
दुनु पाँति बहर ने लेलहु ?

मिलायल मिसरा कहुना कहुना
खट द बहरायल बहर पहुना

हम छी पूज्य ग़ज़ल क लेल
हमर बिना ग़ज़ल नहि भेल

हमर स्वरूप अछि आधा दर्जन
नाम कहब त मोडब गर्दन

झेललाहु हम बहरक कहर
आब नहि छोडब कोनो कसर

एतबहि मे घुसि काफिया पैसल
नहि मिलायब त रहब बैसल

बड्ड मुश्किल से जोडल सब किछ
मोने सोचलहु आब भेलहु फरीच्छ

टरटरायत जे निकलल वर्ण
हे बहिरे अपन पातु कर्ण

समाजवाद थिक हमर धर्म
गिनती राखू करू कर्म

हमर संख्या राखू ध्यान
नही त बिसरू ग़ज़ल गुण गान

कोन करम कयल हे भगवान
किया देलहु हम ग़ज़ल पर ध्यान ?

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों