गुनगुनाइत प्रेमक गीत लs कंठ भेल सधुन सितार पिया
सिनेह खेल काल कियैक ऐना देखबैत छी लटमझार पिया
काटु जुनि एहन जोर सँ बड्ड दुखाइत अछि ई लहरचुट्टी
देखु सम्हैर चलु सुकुमार आंगुर नै आबि जाय मोचार पिया
कचोर हरियर गभाइत धान सन गम्हरैत ई स्त्री-यौवन
एहन तन तरुण केर भुखायल छैक सगर संसार पिया
सुमधुर अहाँक प्रीत संग गमकैत अछि हमर सुबदन
प्रेम-पाशक बान्हु जुनि छान खसब हम धड़मबजार पिया
अनुराग-बिराग आतिपाति खेलि कतैक स्नेह-कलह करब
उढ़ैर रहल आब मोन मे उठल सभ मधुरस शृंगार पिया
"शांतिलक्ष्मी" कहैत छथि ऐना जुनि विचलित मोन हौउ हे सखि
भरि आँखि सुप्रीतरस लs मुस्कैत भावैं भs गेलाह देखार पिया
................वर्ण २४.............
अक्षय कुमार चौधरीजी केँ समर्पित
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