बुधवार, 12 दिसंबर 2012

गजल


गजल-३६

कियो कात भेल कतियाएत रहत
सभ ठाम कियो सन्हियाएत रहत

कियो जिनगी भरि गुमकी लधनहि
कियो राति-दिन बतियाएत रहत

कियो बस अपनहि टा बात सुनए  
कियो आने पर पतियाएत रहत

चुप बैसल कियो सभ काज करए
कियो फुसियाहें उधियाएत रहत

कियो ठनने किछु एक बाट चलए
दस बाट कियो छिछियाएत रहत

कियो दुःख बूझए अनकहुँ अपने
कियो अपने लै डिरियाएत रहत  

कियो सम्हरैत छै यदि ठेस लगए
कियो बाटे पर खिसियाएत रहत

छै अपन - अपन व्यवहार "नवल"
कियो छीटै कियो छिड़ियाएत रहत

*आखर-१४ (तिथि-१०.१०.१२)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों