रुबाइ-134
बहलै शोणित जड़लै करेजा प्रेमसँ
खस्सी सन छटपट करै आधा प्रेमसँ
की आबो कहबै नीक कहू प्रेमकेँ
जिनगी भेलै क्षणेमे विधबा प्रेमसँ
बहलै शोणित जड़लै करेजा प्रेमसँ
खस्सी सन छटपट करै आधा प्रेमसँ
की आबो कहबै नीक कहू प्रेमकेँ
जिनगी भेलै क्षणेमे विधबा प्रेमसँ
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