रुबाइ-127
अनकर खेतक उपजा अपन नै भऽ सकत
बिनु मेहनत केने जन किछु नै कऽ सकत
भेटत अधिकार लाठिए हाथे आब
बेसी विनम्र भेने तँ किछु नै लऽ सकत
अनकर खेतक उपजा अपन नै भऽ सकत
बिनु मेहनत केने जन किछु नै कऽ सकत
भेटत अधिकार लाठिए हाथे आब
बेसी विनम्र भेने तँ किछु नै लऽ सकत
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