गजल
दुनियाँमे फँसल मनुखो बरै दीप सन
शोणितकेँ जड़ा जड़िते रहै दीप सन
बसतै प्रेम जतऽ छथि ओतऽ लक्ष्मी बसथि
दुनियाँमे फँसल मनुखो बरै दीप सन
शोणितकेँ जड़ा जड़िते रहै दीप सन
बसतै प्रेम जतऽ छथि ओतऽ लक्ष्मी बसथि
चिन्ता रहित कष्टोमे हँसै दीप सन
परदा की करब छै घर जँ टूटल अपन
घरबैयेसँ पट लाजक जड़ै दीप सन
स्वाहा सपन यदि रहबै नशामे पड़ल
आगिक काज मधुशाला करै दीप सन
नै देतौ जगह यदि ठाढ़ हेबाक छौ
हेतै सफल जे सदिखन लड़ै दीप सन
जीवन दोसरक सुख लेल अर्पण "अमित"
एहन काज कर जे सब कहै दीप सन
मफऊलातु-मफऊलातु-मुस्तफइलुन
2221-2221-2212
बहरे-कबीर
अमित मिश्र
परदा की करब छै घर जँ टूटल अपन
घरबैयेसँ पट लाजक जड़ै दीप सन
स्वाहा सपन यदि रहबै नशामे पड़ल
आगिक काज मधुशाला करै दीप सन
नै देतौ जगह यदि ठाढ़ हेबाक छौ
हेतै सफल जे सदिखन लड़ै दीप सन
जीवन दोसरक सुख लेल अर्पण "अमित"
एहन काज कर जे सब कहै दीप सन
मफऊलातु-मफऊलातु-मुस्तफइलुन
2221-2221-2212
बहरे-कबीर
अमित मिश्र
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