गजल-३८
गढू आखर गजल कहियौ
अपन धुनमे रमल कहियौ
अजब छै रीत दुनियाकें
सुधाके सभ गरल कहियौ
करेजक काँट बनलै ओ
मुदा तैयो कमल कहियौ
पसरलै प्रीत नकली बड़
निमहले पर असल कहियौ
जँ गप हुनकर उठल कोनो
किए नैना भरल कहियौ
गमेलौं की तकर गप नै
कथी संगे रहल कहियौ
कियो दूसै करै निंदा
अपन मोनक जँचल कहियौ
रहल परिणाम प्रेमक की
किए चुप छी "नवल" कहियौ
*बहरे हजज/मात्रा क्रम:१२२२ (तिथि-०१.११.२०१२)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
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