गजल
हमरासँ जौँ दूर जाएब अहाँ
रहि रहि इयादि आएब अहाँ
सिनेह लेल अहीँके बेकल छी
छोड़ि कऽ हमरा कि पाएब अहाँ
खोजि खोजि के तँ पागल बनलौँ
बताउ कि कतऽ भेँटाएब अहाँ
किएक लेल एहन प्रेम केलौँ
जौँ ई बुझलौँ नै निभाएब अहाँ
बदलि गेलियै अहाँ कोना कऽ यै
हमरासँ नै बिसराएब अहाँ
हमरा छोड़ि गेलौँ मुकुन्द संग
आब कतेक के फसाँएब अहाँ
सरल वर्णिक बहर ,वर्ण12
©बाल मुकुन्द पाठक ।।
हमरासँ जौँ दूर जाएब अहाँ
रहि रहि इयादि आएब अहाँ
सिनेह लेल अहीँके बेकल छी
छोड़ि कऽ हमरा कि पाएब अहाँ
खोजि खोजि के तँ पागल बनलौँ
बताउ कि कतऽ भेँटाएब अहाँ
किएक लेल एहन प्रेम केलौँ
जौँ ई बुझलौँ नै निभाएब अहाँ
बदलि गेलियै अहाँ कोना कऽ यै
हमरासँ नै बिसराएब अहाँ
हमरा छोड़ि गेलौँ मुकुन्द संग
आब कतेक के फसाँएब अहाँ
सरल वर्णिक बहर ,वर्ण12
©बाल मुकुन्द पाठक ।।
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