बाल गजल-74
पूबमे देखू कने पनिसोखा उगल
पानि कादो खेत खत्तामे छै भरल
भोरमे भेलै झमा झम झम मेघ तें
चूल्हि ठंढाएल छै नै जाड़न जड़ल
रौदमे तपि पानि बदलै छै मेघमे
उपरमे ठंढा भऽ फेरो वर्षा बनल
साँझ भेलै दृश्य मोहक छै मोन खुश
गीत जोरसँ गाबिते सब चिड़ियाँ उड़ल
चान उगलै दूध पूरी देतै बहुत
"अमित" अम्बरमे कते छै डिबिया बरल
फाइलातुन-फाइलातुन-मुस्तफइलुन
2122-2122-2212
बहरे-जदीद
अमित मिश्र
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