बुधवार, 12 दिसंबर 2012

गजल


गजल-३४

अछि मोन जड़ल ककरा कहबै
पुनि नोर बहल ककरा कहबै

सच बात जहर लगतै सभके
धरि फूसि गढल ककरा कहबै

छल फूसक घर जतए कहियो
बनि गेल महल ककरा कहबै

करिया धन पर सरकार चलै
सभ लूटि रहल ककरा कहबै

चुप बैसल दुःख सहतै सभटा
सभ लोक डरल ककरा कहबै

नहि मोल जखन किछु नेहक छै
गप भाव भरल ककरा कहबै

सभ लीन "नवल" अपने धुनमे
हम गीत गजल ककरा कहबै

*मात्रा-१६ (तिथि-०७.१०.२०१२)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों