गजल-३२
अहाँ लेल कृष्ण हम बनी अहाँ राधिका बनि जाए तऽ
हम बंसीक तान छेड़ दी अहाँ राधिका बनि जाए तऽ
प्रेमक हकार दै छी हम आउ बैसू हमरा लऽगमे
सभ गोपीक संग छोड़ि दी अहाँ राधिका बनि जाए तऽ
आर किछु मांगब नञि हम दुनियासँ आ की देवसँ
जे जे कहब से हम करी अहाँ राधिका बनि जाए तऽ
जोहैत-जोहैत आब बाट बड़ भेल छी अधीर हम
अहीं संग हम जीबी मरी अहाँ राधिका बनि जाए तऽ
आँजुरमे प्रेम-पुष्प लऽ प्रेमक गजल कहै "नवल"
हम भावमे बहैत रही अहाँ राधिका बनि जाए तऽ
*आखर-२० (तिथि-२३.०९.१२)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
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