बाल गजल-68
बैसल घूर लऽग खूब गरमाइत मोन
खिस्सा सूनि बाबूसँ हर्षाइत मोन
शीताएल खऽर-पात धधरा नै भेल
सिहकै वर्फ पवनसँ थरथराइत मोन
बैसल चारि दिश लोक भूजा फाँकैत
नोन प्याजकेँ देख भूखाइत मोन
ओतै गाय छै संगमे बाछी ओतऽ
ओकर संगमे खूब खेलाइत मोन
भेलै राति बड फेर बड धधरा भेल
देहो गरम छै फेर अलसाइत मोन
मफऊलातु-मुस्तफइलुन-मफऊलातु
2221-2212-2221
बहरे-हमीद
अमित मिश्र
बैसल घूर लऽग खूब गरमाइत मोन
खिस्सा सूनि बाबूसँ हर्षाइत मोन
शीताएल खऽर-पात धधरा नै भेल
सिहकै वर्फ पवनसँ थरथराइत मोन
बैसल चारि दिश लोक भूजा फाँकैत
नोन प्याजकेँ देख भूखाइत मोन
ओतै गाय छै संगमे बाछी ओतऽ
ओकर संगमे खूब खेलाइत मोन
भेलै राति बड फेर बड धधरा भेल
देहो गरम छै फेर अलसाइत मोन
मफऊलातु-मुस्तफइलुन-मफऊलातु
2221-2212-2221
बहरे-हमीद
अमित मिश्र
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