बुधवार, 12 दिसंबर 2012

गजल


गजल-३९

पकडू रेल चलू दिल्ली
भरबै जेल चलू दिल्ली

नेता लूटि रहल सभके
बुझि बकलेल चलू दिल्ली

बैसल बाट कते जोहब
सभ लुटि गेल चलू दिल्ली

सभ छै भूखल कुर्सी के
रोकब खेल चलू दिल्ली

पापक कुण्ड भरल सगरो
सभटा हेल चलू दिल्ली

लागल भीड़ पमरियाकें
सभके ठेल चलू दिल्ली

अपनेमे जुनि झगडू यौ
राखू मेल चलू दिल्ली

धरना देब करब अनशन
मिथिला लेल चलू दिल्ली

क्रांतिक धार "नवल" बहलै
लड़बा लेल चलू दिल्ली

*मात्राक्रम : २२२१+१२२२ (तिथि-१०.११.२०१२)
©पंकज चौधरी (नवलश्री

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों