प्रस्तुत अछि श्रीमती इरा मल्लिक जीक ई बाल गजल-----
ई पोथी तँ हम नै पढ़बै ई तँ बहुत मोटगर छै
मुदा लगैए पढ़हे पड़तै करची बड्ड पातर छै
मिठका पुआ पकबै बाबी छन-मन भनसा घरमे
जत्ते सुन्दरि हम्मर बाबी ततबे पूआ मिठगर छै
बनलै पूआ लगलै भूख गे बुढ़िया हमरा तँ बेसी दे
ई धानी पातक चटनी तँ लागै बहुत झँसगर छै
ओकरा तँ बाबी देलकै छोटकी पूआ वाह भाइ वाह
रे नंगटा देखही हम्मर थारी तँ खुब्बे भरिगर छै
नेना भुटका मगन भेल छै बाबी हँसै छै तरे-तर
हमरा लेल तँ देवी छै जकरासँ घर डटगर छै
कौआ रे नै कर लुप-लुप पूआ धेने छौ बाबी तोरो ले
गाछसँ तों निच्चा उतर आमक गाछ झमटगर छै
सरल वार्णिक २०
समझ में कम आ रही है।
जवाब देंहटाएंKi ekrey ghazal kahal jaai chhai yau ghazal samraat ji ?
जवाब देंहटाएंKi saral bahar arabi mey hoi chhai? Hindi blogs par jaa kina puchhyau ta .