शनिवार, 22 दिसंबर 2012

गजल


प्रस्तुत अछि श्रीमती इरा मल्लिक जीक ई बाल गजल-----


ई पोथी तँ हम नै पढ़बै ई तँ बहुत मोटगर छै
मुदा लगैए पढ़हे पड़तै करची बड्ड पातर छै

मिठका पुआ पकबै बाबी छन-मन भनसा घरमे
जत्ते सुन्दरि हम्मर बाबी ततबे पूआ मिठगर छै

बनलै पूआ लगलै भूख गे बुढ़िया हमरा तँ बेसी दे
ई धानी पातक चटनी तँ लागै बहुत झँसगर छै

ओकरा तँ बाबी देलकै छोटकी पूआ वाह भाइ वाह
रे नंगटा देखही हम्मर थारी तँ खुब्बे भरिगर छै

नेना भुटका मगन भेल छै बाबी हँसै छै तरे-तर
हमरा लेल तँ देवी छै जकरासँ घर डटगर छै

कौआ रे नै कर लुप-लुप पूआ धेने छौ बाबी तोरो ले
गाछसँ तों निच्चा उतर आमक गाछ झमटगर छै

सरल वार्णिक २०

2 टिप्‍पणियां:

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों