भूतलेलौं किए एना मन लगा लिअ
आउ चलि संगमे हमरो अप्पना लिअ
नै बचन देब हम नै किछु मोल एकर
संग हमरा लऽ मोनक संसय हटा लिअ
जुनि बुझू आन जगमे सपनोसँ कखनो
बुझि कऽ अप्पन कनी छू ठोरसँ सटा लिअ
जीवनक काँट एते कोना बिछब ई
छोड़ि सगरो जमानाकेँ वर बना लिअ
रूप सुन्नर अहाँकेँ ई ओहिपर बदरा
जीब कोना करेजामे 'मनु' बसा लिअ
(बहरे - असम, मात्राक्रम : 2122-1222-2122)
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें