हमरा इ सूचित करैत बड्ड नीक लागि रहल अछि जे " अनचिन्हार आखर"द्वारा स्थापित " गजल कमला-कोशी-बागमती-महानंदा" सम्मानक ( बाल गजलक लेल ) पहिल चरण बर्ख-2012 ( मास नवम्बर लेल ) पूरा भए गेल अछि। मास नवम्बर लेल बाल मुकुन्द पाठक जीक एहि रचना के चयन कएल गेलैन्हि अछि। हुनका बधाइ।
साझेसँ अखारामे कुश्ती हेतै
अन्तिम बेर छी एतौ हम तँ
कोरा मे कने लिअ ने हमरा
चलू ने जल्दी किनै ले जिलेबी
बाबूओसँ बेसी अहीँ मानै छी
सरल वर्णिक बहर ,वर्ण 11
ओना ई शुरूआती रचना थिक आ आब पाठक जी अरबी बहरमे खूब लीखि रहल छथि।
बाल गजल
मेला चलब हमहुँ कक्का यौ
पहिरब आइ सूट पक्का यौ
खेबै जिलेबी आ झूलब झूला
संगे संग किनब फटक्का यौ
बैट किनब क्रिकेट खेलै ले
आबि कऽ खूब मारब छक्का यौ
मेला चलब हमहुँ कक्का यौ
पहिरब आइ सूट पक्का यौ
खेबै जिलेबी आ झूलब झूला
संगे संग किनब फटक्का यौ
बैट किनब क्रिकेट खेलै ले
आबि कऽ खूब मारब छक्का यौ
साझेसँ अखारामे कुश्ती हेतै
पहलवानोँ तँ छै लडक्का यौ
अन्तिम बेर छी एतौ हम तँ
जाएब बाबू लऽग फरक्का यौ
कोरा मे कने लिअ ने हमरा
ई भीड़ मेँ मारि देत धक्का यौ
चलू ने जल्दी किनै ले जिलेबी
नै तँ उड़ि जाएत छोहक्का यौ
बाबूओसँ बेसी अहीँ मानै छी
छी बड्ड नीक हमर कक्का यौ
सरल वर्णिक बहर ,वर्ण 11
~ ~बाल मुकुन्द पाठक ।।
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