शुक्रवार, 12 अगस्त 2011

गजल

इजोतक दर्द अन्हार सँ पुछिऔ

धारक दर्द तँ किनार सँ पुछिऔ


नहि काटल गेल हएब जड़ि सँ

काठक दर्द तँ किनार सँ पुछिऔ


समदाउनो तँ निर्गुने बुझाएल

कञिआक दर्द कहार सँ पुछिऔ


अन्न-तीमनक प्रशंसा नीक गप्प

अनाजक दर्द ऐंठार सँ पुछिऔ


करबै की हाथ आ गरा मिला कए

इ दर्द तँ अनचिन्हार सँ पुछिऔ



**** वर्ण---------13*******

2 टिप्‍पणियां:

  1. अति सुन्दर मन मोहित होगया आप के ब्लॉग पे आने से इस केलिए आप को बहुत बहुत धन्यवाद्
    आप मेरे ब्लॉग पे भी अपना कीमती समय निकाल के आवे

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  2. kshetriya bhasha men sarthak prastuti
    स्वाधीनता दिवस की शुभकामनाएं .

    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें .

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों