हमरा इ सूचित करैत बड्ड नीक लागि रहल अछि जे " अनचिन्हार आखर"द्वारा स्थापित पुरस्कार " गजल कमला-कोशी-बागमती-महानंदा" पुरस्कारक पहिल चरण ( मास नवम्बर लेल ) पूरा भए गेल अछि। मास नवम्बरक लेल मिहिर झा जीक एहि रचना के चयन कएल गेलैन्हि अछि। हुनका बधाइ।
वाह कतेक मजा अबै छै उठा-पटकमे
सरकारो तक बदलै छै उठा-पटकमे
इ हार-जीत छै मात्र जनताक दृष्टि-भ्रम
कंबल तर दारू चलै छै उठा-पटकमे
के दोस्त के दुश्मन कहब बड्ड मोश्किल
रंग जे अपन देखबै छै उठा-पटकमे
नीक काज करत से केकरो फुरसति कहाँ
देखू सभ लागल रहै छै उठा-पटकमे
महँगी छै आतंकवादो छै तैओ जिनगी छै
जिनगी एनाहिते चलै छै उठा-पटकमे
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