शनिवार, 31 दिसंबर 2011

गजल


छुछ दुलार सैह कथीदन नाम
दुलरप्रेमक छै बड्ड तमझाम

बाप लगाय पी छुतैल गारि पढ़ै
सुनि हुलसै प्रियाक मनसधाम

मजा लैत प्राणप्री बस ठिठियावै
हँसि-हँसि घिचै पीया गालक चाम

जत्तै प्रेम गहिरावै गारि छुतावै
लोक कहै हिनका संस्कारेक बाम

स्नेहक जग मे रुप बहुरंग छै
सभ बनय राधा सभ घनश्याम

प्रेमक पसार पहाड़ सन लागै
"शांतिलक्ष्मी"केँ बुझै मे छुटय घाम

............वर्ण १३............
(हम अपन विदेह ग्रुप पर भेजल अपन पुर्वक पोस्ट केँ एहिठाम अद्यतन कs कs पठा रहल छी)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों