छुछ दुलार सैह कथीदन नाम
दुलरप्रेमक छै बड्ड तमझाम
बाप लगाय पी छुतैल गारि पढ़ै
सुनि हुलसै प्रियाक मनसधाम
मजा लैत प्राणप्री बस ठिठियावै
हँसि-हँसि घिचै पीया गालक चाम
जत्तै प्रेम गहिरावै गारि छुतावै
लोक कहै हिनका संस्कारेक बाम
स्नेहक जग मे रुप बहुरंग छै
सभ बनय राधा सभ घनश्याम
प्रेमक पसार पहाड़ सन लागै
"शांतिलक्ष्मी"केँ बुझै मे छुटय घाम
............वर्ण १३............
(हम अपन विदेह ग्रुप पर भेजल अपन पुर्वक पोस्ट केँ एहिठाम अद्यतन कs कs पठा रहल छी)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें