| तरहथ्थी पर दिया जरौंने छी हम |
| सपना केऽरी ऐहन् सजौंने छी हम |
| आहा आबू या नै आबू मर्जी आहके |
| बहुत प्यार-स्नेह सँ बजेलो या हम |
| लिखलो ओस स आहाक नाम लक |
| ओहे गीत आहा के सुनलो हन हम |
| जीवन में खुशी अही स मिलल या |
| अहि केरी नाम गुनगुनाबे छी हम |
| "मोहन जी"क नोर के बजह पूछैं छी |
| दर्द के छल तै बहा रहलो हन हम |
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सोमवार, 19 दिसंबर 2011
गजल
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अजय ठाकुर (मोहन जी),
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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
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