पहड राईत बीत गेल निन्द नहि आबैए हमरा
रैह-रैह कs अहाँक सुन्नर याद सताबैए हमरा
सुन्नर-मोहनी छवि अहाँक,आँखि में जए बसोने छी
सिनेहिया सलोनी हमर,बड्ड तरसाबैए हमरा
घरी-घरी बजाबै छी,अहाँ अपन चंचल इशारा सँ
मुइन लिय कोना कs आँखि अपन,काचोतैए हमरा
जुनि खसाबू एतेक अहाँ,अपन दाँतक बिजुडिया
एतेक इजोरिया अहाँक ,आब तरपाबैए हमरा
मधुर मिलन होएत अपन,कखन कोन बिधि सँ
ओही के विचारे सँ,करेजा हमर जुराबैए हमरा
रैह-रैह कs अहाँक सुन्नर याद सताबैए हमरा
सुन्नर-मोहनी छवि अहाँक,आँखि में जए बसोने छी
सिनेहिया सलोनी हमर,बड्ड तरसाबैए हमरा
घरी-घरी बजाबै छी,अहाँ अपन चंचल इशारा सँ
मुइन लिय कोना कs आँखि अपन,काचोतैए हमरा
जुनि खसाबू एतेक अहाँ,अपन दाँतक बिजुडिया
एतेक इजोरिया अहाँक ,आब तरपाबैए हमरा
मधुर मिलन होएत अपन,कखन कोन बिधि सँ
ओही के विचारे सँ,करेजा हमर जुराबैए हमरा
(सरल वार्णिक बहर,वर्ण-२०)
जगदानन्द झा 'मनु' : गजल संख्या -३
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