रविवार, 25 दिसंबर 2011

गजल

ज्ञानी नहि हम किछु जानी नहि 
अल्प वुद्धि किछु  पहचानी नहि 

हम छी मैथिल मिथिला हमर 
मिथिला  छोरि क ' किछु मानी नहि 

इतिहास भूगोल सँ अनभिक
राजनीती किछु पहचानी नहि 

कविता-गजल कए ज्ञान नहि 
गद्य-पद्य विधा हम  जानी नहि

मोनक भाब राखि कागज पर 
लेखन कलाकेँ  हम ज्ञानी  नहि


(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१२)
जगदानन्द झा 'मनु' : गजल  संख्या-४ 

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों