दिन सुदिने बुझाइत ई कुहेस मे
देस फँसल अछि घोटाला आ केसमे
लोकतंत्रक राजा जनता-जनार्दन
जनते सुतय तँ तंत्र पेसो-पेस मे
पाप पराकाष्ठ होई जनमै श्रीकृष्ण
मीडीया छथि जागल ऐय्यार भेष मे
छुलाह पहिनौ पापक माल खेलकै
न्यायक आँखि आइ पड़ल उधेस मे
जनता छाती ठोकि आब लड़ै भीड़ल
लोकपालक अस्त्र देखि चोरो क्लेश मे
"शांतिलक्ष्मी"केँ सभकिछु शुभे बुझाबै
कृष्ण, चाणक्य, गाँधी, आ अन्नाक देस मे
..............वर्ण १४............
Ashish Anchinhar भैयाजी आ Om Prakash Jha भैयाजी केँ संयुक्त रुप सँ समर्पित
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