शनिवार, 31 दिसंबर 2011

गजल


छाति तानि ठाढ़ सैनिक दुश्मनक तोप बरसाबैत अंगोरा
लहास घिसियावैत कुत्ता पढ़ि कवैती शेर केँ कहै भगोरा

सात कोनटाक मरचट्टा बदलै कोन-कोन रंगक नै झन्डा
बलिदानीक सारा लागल पाथर केँ की बुझतै ओ लिकलोढा

सौ मुनसाक संग जे खेलकरी राति-दिन खेलावै रसलीला
सून बाट चलैत छौड़ी केँ कहलकै गे बज्जर खसतौ तोरा

जँ बातक नहि ठीक तँ बापोक नहि ठीक के छै सत्ते कहवी
उनटा-पुनटा गप्पक सतखेल करै ई कुर्सीक चटकोरा

नौ सौ मुस खाय केँ बिलाय साधु नाहैत चानन ठोप लगौने
सुसुम खुन चाटय सुंघसुंघ करै ई लाकर आदमखोरा

"शांतिलक्ष्मी" माथ धयनै बैसल देख रहलै हेँ सभटा छिछा
लोकतंत्रक अस्मिता लुटय बेकल कोना देसक कुलबोरा

............वर्ण २३...........

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों