छाति तानि ठाढ़ सैनिक दुश्मनक तोप बरसाबैत अंगोरा
लहास घिसियावैत कुत्ता पढ़ि कवैती शेर केँ कहै भगोरा
सात कोनटाक मरचट्टा बदलै कोन-कोन रंगक नै झन्डा
बलिदानीक सारा लागल पाथर केँ की बुझतै ओ लिकलोढा
सौ मुनसाक संग जे खेलकरी राति-दिन खेलावै रसलीला
सून बाट चलैत छौड़ी केँ कहलकै गे बज्जर खसतौ तोरा
जँ बातक नहि ठीक तँ बापोक नहि ठीक के छै सत्ते कहवी
उनटा-पुनटा गप्पक सतखेल करै ई कुर्सीक चटकोरा
नौ सौ मुस खाय केँ बिलाय साधु नाहैत चानन ठोप लगौने
सुसुम खुन चाटय सुंघसुंघ करै ई लाकर आदमखोरा
"शांतिलक्ष्मी" माथ धयनै बैसल देख रहलै हेँ सभटा छिछा
लोकतंत्रक अस्मिता लुटय बेकल कोना देसक कुलबोरा
............वर्ण २३...........
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